Tuesday, November 18, 2008

भाग 4

अध्याय-4
पद-विचार
सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है, पर जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह स्वतंत्र नहीं रहता बल्कि व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और प्रायः इसका रूप भी बदल जाता है। जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है।हिन्दी में पद पाँच प्रकार के होते हैं-1. संज्ञा2. सर्वनाम3. विशेषण4. क्रिया5. अव्यय
1.संज्ञा-
किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि तथा नाम के गुण, धर्म, स्वभाव का बोध कराने वाले शब्द संज्ञा कहलाते हैं। जैसे-श्याम, आम, मिठास, हाथी आदि।संज्ञा के प्रकार- संज्ञा के तीन भेद हैं-1. व्यक्तिवाचक संज्ञा।2. जातिवाचक संज्ञा।3. भाववाचक संज्ञा।
1.व्यक्तिवाचक संज्ञा-
जिस संज्ञा शब्द से किसी विशेष, व्यक्ति, प्राणी, वस्तु अथवा स्थान का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-जयप्रकाश नारायण, श्रीकृष्ण, रामायण, ताजमहल, कुतुबमीनार, लालकिला हिमालय आदि।
2.जातिवाचक संज्ञा-
जिस संज्ञा शब्द से उसकी संपूर्ण जाति का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-मनुष्य, नदी, नगर, पर्वत, पशु, पक्षी, लड़का, कुत्ता, गाय, घोड़ा, भैंस, बकरी, नारी, गाँव आदि।
3.भाववाचक संज्ञा-
जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-बुढ़ापा, मिठास, बचपन, मोटापा, चढ़ाई, थकावट आदि।विशेष वक्तव्य- कुछ विद्वान अंग्रेजी व्याकरण के प्रभाव के कारण संज्ञा शब्द के दो भेद और बतलाते हैं-1. समुदायवाचक संज्ञा।2. द्रव्यवाचक संज्ञा।
1.समुदायवाचक संज्ञा-
जिन संज्ञा शब्दों से व्यक्तियों, वस्तुओं आदि के समूह का बोध हो उन्हें समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-सभा, कक्षा, सेना, भीड़, पुस्तकालय दल आदि।
2.द्रव्यवाचक संज्ञा-
जिन संज्ञा-शब्दों से किसी धातु, द्रव्य आदि पदार्थों का बोध हो उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-घी, तेल, सोना, चाँदी,पीतल, चावल, गेहूँ, कोयला, लोहा आदि।इस प्रकार संज्ञा के पाँच भेद हो गए, किन्तु अनेक विद्वान समुदायवाचक और द्रव्यवाचक संज्ञाओं को जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत ही मानते हैं, और यही उचित भी प्रतीत होता है।भाववाचक संज्ञा बनाना- भाववाचक संज्ञाएँ चार प्रकार के शब्दों से बनती हैं। जैसे-
1.जातिवाचक संज्ञाओं से-
दास दासतापंडित पांडित्य बंधु बंधुत्वक्षत्रिय क्षत्रियत्वपुरुष पुरुषत्व प्रभु प्रभुतापशु पशुता,पशुत्वब्राह्मण ब्राह्मणत्वमित्र मित्रताबालक बालकपनबच्चा बचपन नारी नारीत्व
2.सर्वनाम से-
अपना अपनापन, अपनत्व निज निजत्व,निजतापराया परायापन स्व स्वत्वसर्व सर्वस्वअहं अहंकारमम ममत्व,ममता
3.विशेषण से-
मीठा मिठास चतुर चातुर्य, चतुराईमधुर माधुर्य सुंदर सौंदर्य, सुंदरतानिर्बल निर्बलता सफेद सफेदीहरा हरियाली सफल सफलताप्रवीण प्रवीणता मैला मैलनिपुण निपुणता खट्टा खटास
4.क्रिया से-
खेलना खेल थकना थकावट लिखना लेख, लिखाईहँसना हँसीलेना-देना लेन-देनपढ़ना पढ़ाईमिलना मेलचढ़ना चढ़ाई मुसकाना मुसकानकमाना कमाई उतरना उतराई उड़ना उड़ानरहना-सहना रहन-सहन देखना-भालना देख-भाल

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